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“मुलाकात रहने दो”

ღღ_आज ना ही आओ मिलने, ये मुलाकात रहने दो;
कुछ देर को मुझको, आज मेरे ही साथ रहने दो!
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अन्धेरों की, उजालों की, हवाओं की, चिरागों की;
या अपनी ही कोई बात छेड़ो, मेरी बात रहने दो!
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मैं सोया कि नहीं सोया, मैं रोया कि नहीं रोया;
और भी काम हैं तुमको, ये तहकीकात रहने दो!
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यूँ तो सैकड़ों रात जागा हूँ, तुम्हारे ही ख्यालों में;
पर सोना चाहता हूँ अब, आज की रात रहने दो!
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जाते-जाते ‘अक्स’, मेरा इक मशविरा है तुमको;
कि इश्क़ करो तो बे-हद, यूँ एहतियात रहने दो!!…#अक्स
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