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मुस्कान आपकी

मुस्कान आपकी
खिले फूल जैसी,
भुलाने सक्षम है
गम हमारे।
वाणी में इतना
मीठा भरा है,
विरोधी भी हो
जाते हैं तुम्हारे।
चमकता हुआ बल्ब
बोलूँ न बोलूँ,
मगर इस अंधेरे में
हो तुम दुलारे।
निराशा के कुएं में
पड़ने लगे थे
मगर तुमने आकर
किये नौ सहारे।

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