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मुहब्बतों में मुझे झुका दे

तू टिमटिमा मत चमकते तारे
बिना रुके रोशनी दिखा दे,
अंधेरा घनघोर सा घिरे जब
तू कर उजाला मुझे सिखा दे।
चलूँगा कैसे अंधेरी राहें,
मुझे तू सारी कला सिखा दे,
मनाने प्रीतम को क्या लिखूं अब
दो बात अच्छी मुझे लिखा दे।
अगर कलम से गलत लिखूं तो
मुझे बताये बिना मिटा दे।
अकड़ न जाऊँ कभी किसी से
मुहब्बतों में मुझे झुका दे।

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