मुहब्बतों में मुझे झुका दे

तू टिमटिमा मत चमकते तारे
बिना रुके रोशनी दिखा दे,
अंधेरा घनघोर सा घिरे जब
तू कर उजाला मुझे सिखा दे।
चलूँगा कैसे अंधेरी राहें,
मुझे तू सारी कला सिखा दे,
मनाने प्रीतम को क्या लिखूं अब
दो बात अच्छी मुझे लिखा दे।
अगर कलम से गलत लिखूं तो
मुझे बताये बिना मिटा दे।
अकड़ न जाऊँ कभी किसी से
मुहब्बतों में मुझे झुका दे।

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Responses

  1. तू टिमटिमा मत चमकते तारे
    बिना रुके रोशनी दिखा दे…..
    __________प्रकृति प्रेम और प्रेम से परिपूर्ण कवि सतीश जी की अति सुन्दर और उच्च स्तरीय रचना, लाजवाब अभिव्यक्ति शानदार प्रस्तुति

    1. प्रभावशाली, बेहतरीन व लाजवाब समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद। लेखनी की यह प्रखरता सदैव बनी रहे।

  2. तू टिमटिमा मत चमकते तारे
    बिना रुके रोशनी दिखा दे,
    अंधेरा घनघोर सा घिरे जब
    तू कर उजाला मुझे सिखा दे।
    चलूँगा कैसे अंधेरी राहें,
    मुझे तू सारी कला सिखा दे,

    प्रकृति का सुंदर वर्णन करती हुई रचना

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