Site icon Saavan

मृग मरीचिका

वो छत क्या
अचानक गिर गई
गिरी नही
ऐसा कहो गिराई गई
नींव संवेदनहीनता की
रेत लालच की
ईंट भ्रष्टाचार की
सीमेंट बेईमानी का
माया का जाल बिछा
मूल्यों को तिजोरी में बंद
इंसानियत को दफना
निर्माण ……..
नहीं बस ढांचा खड़ा किया
जनता है तो मोल चुकता
करने को
जो चुकाती हैं कीमत
इन्सान होने की
एक सांस अधिक
ना ले पाओगे
फिर किस मृगमरीचिका
में गठरी बांध रहे हो
इस हादसे के बोझ के
गट्ठर को छोड़ ना पाओगे ।

Exit mobile version