मेरा मन Geeta kumari 4 years ago सोना तपा कुंदन बना, कुंदन तप के राख मैं तपी तपती रही, कुंदन बनी ना राख बरखा ऋतु आई, आई नई कोंपल हर शाख मेरे मन भी उठी उमंगें, छू लूं मैं आकाश