जब वो मेरे घर आई
मेरी नन्हीं परी कहलाई
उसको देख के मोहित हो गई मैं,
उसके मंजुल रूप में खो गई मैं
वो, जैसे इक पौधे की डाली
बड़ी ही नाज़ुक, नाज़ुक सी,
पर थोड़ी नखरे वाली
छम – छम कर घूमा करती हैं,
घर, आंगन में सारे
पापा, भैया कहें…….
तोड़ के ला देंगे हम तारे
पापा की परी है वो,
भैया की दुलारी
बातूनी है सबसे ज्यादा
घर भर की है प्यारी ..
…….✍️ गीता……..