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मेरी प्यारी हिन्दी

जिसको बोल कर,
मन हो जाए प्रसन्न ,
ऐसी मेरी यह भाषा है ।

भाव को मेरे बना दे दर्पण ,
करती है शब्दों का समर्पण ,
ऐसी मेरी यह भाषा है।

जैसा चाहूं वो बोल-लिख पाऊं ,
हर वर्ण में इसकी क्षमता है।
बन गई जो अभिमान मेरा
ऐसी मेरी हिंदी भाषा है।

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