मेरी प्यारी हिन्दी मोहन 4 years ago जिसको बोल कर, मन हो जाए प्रसन्न , ऐसी मेरी यह भाषा है । भाव को मेरे बना दे दर्पण , करती है शब्दों का समर्पण , ऐसी मेरी यह भाषा है। जैसा चाहूं वो बोल-लिख पाऊं , हर वर्ण में इसकी क्षमता है। बन गई जो अभिमान मेरा ऐसी मेरी हिंदी भाषा है।