मोहब्बत की इबारत

मोहब्बत की इबादत मैने हर बार की है
कभी कभी प्यार में तकरार भी की है
मिलो अगर कभी तन्हा तो बता देंगे तुम्हें,
प्रज्ञा’ ने मोहब्बत में जान की भी ना परवाह की है।

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