मौसम सुहाना सावन का आया,
संग अपने उत्सवों का पिटारा लाया
ठंडी ठंडी ये बहती पवन,
बागों में खिले हैं कितने सुमन
आए जब बरखा की फुहार,
पिया भी करे हैं मनुहार
अंगना में भीगे मेरी धानी चुनर,
पिया को भाएं मेरे सारे हुनर
गीत लिखूं या खिलाऊं मैं खाना,
वो हंस के बोलें एक और तो लाना
सखियां सारी दिखाएं मेहंदी वाले हाथ,
मां गौरी से मांगू मैं सदा “उनका”साथ