मौसम सुहाना सावन का
मौसम सुहाना सावन का आया,
संग अपने उत्सवों का पिटारा लाया
ठंडी ठंडी ये बहती पवन,
बागों में खिले हैं कितने सुमन
आए जब बरखा की फुहार,
पिया भी करे हैं मनुहार
अंगना में भीगे मेरी धानी चुनर,
पिया को भाएं मेरे सारे हुनर
गीत लिखूं या खिलाऊं मैं खाना,
वो हंस के बोलें एक और तो लाना
सखियां सारी दिखाएं मेहंदी वाले हाथ,
मां गौरी से मांगू मैं सदा “उनका”साथ
बहुत सुंदर
धन्यवाद वसुंधरा जी 💐
बहुत ही अच्छी
Dhanyawad🙏
Nice
धन्यवाद 🙏
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर सावन में आनंद विभोर मन की संयोग श्रृंगारित संवेदना प्रस्फुटित हुई है, वाह
आपकी प्रेरणादायक समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
प्रेम की पराकाष्ठा को प्रकट करते हुए श्रृंगार रस की बहुत ही उत्तम रचना इसमें प्रकृतिक क्या सुंदर प्रयोग किया गया है
वाह वाह