बेइंतेहा दर्दो को सहने की, अश्कों को पीने की
सांसो की घुटन में रहने की, गमों में जीने की
आदतें सारी यह किस किस की ग़ुलाम हो गई
यह ज़िन्दगी तो बस मौत का दूसरा नाम हो गई
…….. यूई
बेइंतेहा दर्दो को सहने की, अश्कों को पीने की
सांसो की घुटन में रहने की, गमों में जीने की
आदतें सारी यह किस किस की ग़ुलाम हो गई
यह ज़िन्दगी तो बस मौत का दूसरा नाम हो गई
…….. यूई