ये, अंदर की बात है !

 

हनीमून-टूर पर नवयुगल ने , हिल-स्टेशन के आलीशान होटल में
: आनन्दपूर्वक सुहागरात मनाई
बिदाई में ‘रिटर्न-गिफ़्ट’ के बतौर, होटल-प्रबंधन से एक ‘सी.डी.’ पाई .

‘वे’ बहुत खुश थे————–
कि ; ‘सी.डी.’ के माध्यम से अब घर बैठे हिल-स्टेशन की सैर करेंगें
‘‘कमरे से बाहर तक नहीं निकला घोंचू ’’-इस शाश्वत् लांछन से भी बचेंगें .

घर लौटकर यात्रा के सच्चे–झूठे, खट्टे–मीठे अनुभव सबको सुनाये
हिल–स्टेशन पर खरीदे, रेडीमेड फोटोग्राफ़ ‘अपने’ कहकर दिखाये

और फिर , जोश में आकर, ‘सी.डी.’ आन कर दी ………………

अब ‘उनके’ चेहरे फ़क़्क़ थे
सभी को थी उनसे हमदर्दी.

अरे , यह क्या ? तौबा ……. तौबा !!
सी.डी. में वही ‘ सब कुछ ’ तो था , ‘ उस रात ’ जो उनके बीच हुआ
…..000….. …….000……       …….000….. ……000……

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Responses

    1. आभार मित्र! जीवन के कुछ प्रसंग नितान्त निजी अनुभव होते हैं, उनके प्रति सचेत रहना हमारी प्राथमिकता होनी ही चाहिए ।

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