ये रात….
ये रात आखिरी लोरी सुनाने वाली है।
मैं थक चुका हूँ मुझे नींद आने वाली है।
हँसी मज़ाक की बातें यहीं पे खत्म हुईं
अब इसके बाद कहानी रुलाने वाली है।
अकेला मैं ही नहीं जा रहा हूँ बस्ती से
ये रौशनी भी मेरे साथ जाने वाली है।
जो नक़्श हमने बनाए थे सिर्फ वो ही नहीं
हवा-ए-दश्त हमें भी मिटाने वाली है।
हर एक शख्स का ये हाल है कि जैसे यहाँ
ज़मीन आखिरी चक्कर लगाने वाली है।
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