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रंग

हे रंगरेज़
बावरी मत समझ लेना
बात बार-बार दोहरांयू तो
यह अदा है इज़हार की
मुकम्मल नही हूँ,
हूँ कुछ अधूरी सी
रंग दोगे जो अपने रंग में
इबादत पूर्ण हो जाएगी।।

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