रंग Anu Singla 3 years ago हे रंगरेज़ बावरी मत समझ लेना बात बार-बार दोहरांयू तो यह अदा है इज़हार की मुकम्मल नही हूँ, हूँ कुछ अधूरी सी रंग दोगे जो अपने रंग में इबादत पूर्ण हो जाएगी।।