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“राजा दशरथ और श्रवण कुमार”

“राजा दशरथ और श्रवण कुमार”
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उठा लिया एक भारी बोझ-सा कंधे पर
अंधे माँ-बाप को तीर्थ यात्रा कराई
श्रवण कुमार सा हो लाल मेरा
यही दुआ करे हर माई’
राजा दशरथ गये आखेट को
समझे कोई जन्तु है भाई
मार दिया शब्द-भेदी बाण
जो श्रवण कुमार को जा लगा भाई
दौड़े सरपट, पछताये, रोये और गिड़गिड़ाये
गये लोटे में जल लेकर और श्रवण कुमार के हत्यारे कहलाये
दिया श्राप बूढ़े माँ-बाप ने
कहा- जिस प्रकार पुत्र वियोग में मैं मरा तू भी तड़प-तड़पकर मरेगा
होंगे तेरे चार सुत पर अन्तिम समय में कोई ना होगा
यह सुनकर धीर-अधीर हुए सूर्यवंशी दशरथ राजा
जब प्राण तजे पुत्र-वियोग में
तब कोई भी पुत्र पास ना था
राम-राम कह तजे प्राण
राजा दशरथ ने श्रापानुसार
एक था राजा वचनप्रिय,
एक था आज्ञाकारी श्रवण कुमार…

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