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ले गए याद सभी

अंधेरे का गीत लिखूं
या सुबह की आस लिखूं
नींद आ-जा रही है,
और कुछ खास लिखूं।
स्वप्न हैं पास खड़े
इंतजार करते हैं,
बन्द आँखों में ही,
वे राज करते हैं।
बात गम की भी न थी,
साख कम भी न थी,
फिर भी मुड़कर के देखा
आंख नम भी तो न थी।
हम तो कहते ही रहे
बैठो जाओ न अभी,
मगर वो खुद तो गए
ले गए याद सभी।

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