ले गए याद सभी
अंधेरे का गीत लिखूं
या सुबह की आस लिखूं
नींद आ-जा रही है,
और कुछ खास लिखूं।
स्वप्न हैं पास खड़े
इंतजार करते हैं,
बन्द आँखों में ही,
वे राज करते हैं।
बात गम की भी न थी,
साख कम भी न थी,
फिर भी मुड़कर के देखा
आंख नम भी तो न थी।
हम तो कहते ही रहे
बैठो जाओ न अभी,
मगर वो खुद तो गए
ले गए याद सभी।
अति उत्तम
बहुत बहुत धन्यवाद
कवि हृदय की कोमल भावनाओं को प्रस्तुत करती हुई बहुत ही सुन्दर कविता, उत्तम लेखन
सुन्दर समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर कविता
सादर धन्यवाद
बहुत सुंदर कल्पना,जहां ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि, बहुत सुंदर
सादर धन्यवाद
Very nice