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लोहड़ी की बहार है

खुशियाँ अपार है
प्यार का त्योहार है।
वेहरे बीच आग जली
लोहड़ी की बहार है।।
गैया का गोबर पाथ-पाथ
पाथी लिया बनाय।
सुक्खा लक्कड़ काट-काट
लोहड़ी लिया सजाय ।।
घच्चक मूंगफली रेवड़ी
संग खिल्लां का भण्डार है।
आजा वीरां नच्चां गावां
लोहड़ी दा त्योहार है।। खुशियाँ अपार है……….
दादा जी दे गोद बैठ जा
काका काकी आन के।
लोहड़ी दा इतिहास सुनावां
खुशी परव महान के।।
दुल्ला भट्टी के शौर्यकथा की
कहानी का आधार है।।खुशियाँ अपार है……
संदल बार का राजपूत घराना
राय फरीदखान भट्टी का पुतर।
यूँ तो लुटेरा कहते थे कुछ
पर था वह रक्षक शेर सुपुतर।।
दयावान था दिल उसका
सब कहते सच्चा सरदार है।। खुशियाँ अपार है…..
सोलवीं सदी के उत्तरार्ध में
मुगलकाल की सुनो कहानी।
अमीर घरानों के खातिर
होती फरोख्त कुड़ी मुलतानी।।
देख दशा अबलाओं की तब
उसका दिल कहे अनाचार है।। खुशियाँ अपार है…
मुक्त करा नित कुड़ियों का
हिन्दू संग व्याह करबाबा था।
सुन्दरिए मुन्दरिए दो बहना थी
जिसका भी व्याह करबाया था।।
यही कहानी अच्छाई की
आज गाता सब संसार है।। खुशियाँ अपार है….
जाड़े में अमृत है अग्नि
ये कहते वेद-पुराण है।
‘विनयचंद ‘त्योहार नहीं
ये अग्नि का सम्मान है।।
खुशी -खुशी नित खुशियाँ बाँटो
खुशियों का त्यौहार है।। खुशियाँ अपार है…..

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