Categories: शेर-ओ-शायरी
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वही पुरानी तसल्ली
मंजिल मेरी वो मुझको श्मशान लिखा था उसने, है गरीब खुद ऐसा खानदान लिखा था उसने। रहता मै पक्के घरों में अब(पहले खपरैल मे रहते…
वही पुरानी तसल्ली
मुहब्बत न मिटने का पैगाम लिखा था उसने, इश्क़ तुमसे है एसा अंजाम लिखा था उसने । बेवफा हूँ मैं ऐसा सोच कर वो ,…
वही पुरानी तसल्ली
रोशनी दिन मे थी अंधेरी शाम लिखा था उसने, वाकिब मैं था जैसे खुद को अंजान लिखा था उसने, नज़रे पलट ली निगाहों से अपने…
वही पुरानी तसल्ली
ज़मीन मुझको समझ कर खुद आसमान लिखा था उसने, मैं था परिंदा वगैर परवाला खुद को उड़ान लिखा था उसने, मौत को देखा है मैं…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वाह