Khwahish
Teri aankhe jaise koi samndar lagta hai Mai rah jau yesa ghar lagta hai
Teri aankhe jaise koi samndar lagta hai Mai rah jau yesa ghar lagta hai
खूब निभाया था जिसने वो मुश्किल की बात थी मिला मुकद्दर मे जो मेरे meri औकात थी Rajjneesh
वो जो कमी थी मैं काबिल न हुआ, मेरे नसीब मे मुहब्बत कभी काबिल न हुआ। Rajjneesh
तेरे मुहब्बत मे न जाने कितने तराने थे, मै आशिक था जब तेरे फ़साने थे।
सो जाते हैं जो सोचकर, उन्हे ख्वाब नहीं मिलता। जिनकी परछाइ होती है मुहब्बत, उन्हे जवाब नहीं मिलता।
हुई थी खता हमसे, हमारा ही वो नजर था रखा था कदम जिस गली मे, वो गली ही उनका शहर था। By Rajjneesh
देखते हो उस शख्स को तुम, By जिसे तुम शाद करते हो। नाम मुहब्बत रहता है बस , Rajjneesh बाकी तुम बर्बाद करते हो।
बहती है हवा रातों को, तो कभी चमकता सितारा होता है। होती है मोहब्बत जिसे बार बार, उसे बेवफ़ाई का सहारा होता है। By Rajjneesh
फ़ुर्सत मिले तो पढ़ लिया करो 2 लाइने मेरे शायरी की, ये वो शायरी है जो कभी गलत नहीं होती।
चलाता रहता हूँ बैठ के साख पे अपनी mobile, गर्मी है साहब पसीने से भीगना नहीं चाहता। Shayar Rajjneesh kann
मुहब्बत है मुहब्बत का अंजाम बता दो, जिसे शायरी पसंद है वो अपना नाम बता दो। Shayar Rajjneesh kann
खाक हुआ मेरा, तेरे फसाने मे। मै पागल हुआ, तेरी तस्वीर बनाने मे। Shayar Rajjneesh kann
ज़मीन मुझको समझ कर खुद आसमान लिखा था उसने, मैं था परिंदा वगैर परवाला खुद को उड़ान लिखा था उसने, मौत को देखा है मैं…
रोशनी दिन मे थी अंधेरी शाम लिखा था उसने, वाकिब मैं था जैसे खुद को अंजान लिखा था उसने, नज़रे पलट ली निगाहों से अपने…
कभी ना हो सके जिसका खात्मा, ऐसा इम्तिहान लिखा था उसने। वर्षों की दुश्मनी थी जैसे ऐसा, इंतेकाम लिखा था उसने।। अधूरी कहानी अधूरी मोहब्बत…
मंजिल मेरी वो मुझको श्मशान लिखा था उसने, है गरीब खुद ऐसा खानदान लिखा था उसने। रहता मै पक्के घरों में अब(पहले खपरैल मे रहते…
मुहब्बत न मिटने का पैगाम लिखा था उसने, इश्क़ तुमसे है एसा अंजाम लिखा था उसने । बेवफा हूँ मैं ऐसा सोच कर वो ,…
हम साये थे तेरे मंजिल ए इश्क के, फितूर कोई लाया होगा। मुकाबिल न थे हम तेरे, तुम्हें तो आशिको ने बुलाया होगा। Shayar Rajjneesh…
आशिक थे उसके, तो जिक्र और पहचान थी हमारी, उसकी खुशी में ही, तो jaan थी हमारी।
कोई साथी नहीं अपना, बेगाने लाख होते हैं , जो होते हैं दिलो के आग, वही तो राख होते हैं।
न तुम थे न हम थे न वो बात रही, न ये रुतबा मिला न वो औकात रही ।
कोई साथी नहीं अपना, बेगाने लाख होते हैं , जो होते हैं दिलो के आग, वही तो राख होते हैं।
मैं वो तस्वीर नहीं जो आइने से गुजर जाता हूँ खुश्बू भी नहीं जो लोगो मे बिखर जाता हूँ बिखरती हैं शामे दिन निकलने से…
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