कर बर्षा आकाश सदा
पानी सबको देता है।
बृहत उदर का होकर भी
आखिर हमसे क्या लेता है?
एक वायु का प्यासा है ये
शुद्ध हवा तुम देना जी।
उन्नत वायु में अपने तुम
घोल जहर न देना जी।।
कर बर्षा आकाश सदा
पानी सबको देता है।
बृहत उदर का होकर भी
आखिर हमसे क्या लेता है?
एक वायु का प्यासा है ये
शुद्ध हवा तुम देना जी।
उन्नत वायु में अपने तुम
घोल जहर न देना जी।।