थोडी सी उदासी जमा कर ली है
मुठ्टी भर दर्द को कैद कर रखा है
दिल के इक कौने में
कभी कभी इसी दर्द को घोलकर स्याही में
बिखेर देता हूं उदास कागज़ पर
कुछ अल्फ़ाज़ से खिंच जाते है
लोग कहते है
वाह! क्या नज़्म है|
थोडी सी उदासी जमा कर ली है
मुठ्टी भर दर्द को कैद कर रखा है
दिल के इक कौने में
कभी कभी इसी दर्द को घोलकर स्याही में
बिखेर देता हूं उदास कागज़ पर
कुछ अल्फ़ाज़ से खिंच जाते है
लोग कहते है
वाह! क्या नज़्म है|