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“वो कोई नादान थोड़े है!”……….

ღღ_हर लम्हा, हर लफ्ज़, बस एक ही आरजू;
अरे, दुनिया में बस वही, एक इंसान थोड़े है!
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याद करते रहते हो, रात-रात भर उसको;
अरे, सुबह को उसके बारे में, इम्तिहान थोड़े है!
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गर दूर जा रहा है वो, तो जाने भी दो साहब;
अरे, एक शख्स ही तो है, पूरा जहान थोड़े है!
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जो भी किया है उसने, जानबूझकर किया है;
आखिर दर्द से तेरे, वो कहीं अंजान थोड़े है!
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दर्द देता है वो बेशक, पर मज़ा भी तो देता है;
अरे मासूम है वो साहब, कोई बे-ईमान थोड़े है!
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कब्ज़ा किये बैठा है, और किराया भी नहीं देता,
अरे, मेरा दिल है साहब, उसका मकान थोड़े है!
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क्या ताकते रहते हो, यूँ आसमान में साहब;
अरे, बैठा हुआ ऊपर, कोई भगवान थोड़े है !
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मोहब्बत में तो ये सब, होता ही रहता है “अक्स”;
अरे, शिक़ायतों से क्या होगा, वो कोई नादान थोड़े है!……‪#‎अक्स‬

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