वो शर्मिंदा नहीं है तो खफा खफा क्यों है

वो शर्मिंदा नहीं है तो खफा खफा क्यों है
जाना चाहता है वो मगर रुका क्यों है ?

जिसके आगे पत्थर सा बना रहता जमाना है
उसकी छत पे ये अंबर झुका झुका क्यों है ?

हिज्र की आरजू मुझसे फकत करता है मेरा रब
एक उसके ही दरवाज़े अभी रुका क्यों है ?

है दीवानों में गिनती उसके हरगिज जानते हैं हम
मेरे बाद मुझ पर ही मगर रुका क्यों है ?

ये जिस्म पहले तो उदासी ओढ़ लेता था
ये हुस्न तौबा अब छका छका क्यों है ?

लगता है उसको चूम कर आई हवाएं हैं
सवालात करती हैं खुदा खुदा क्यों है ?

आमद हो गई है उसकी मेरे शहर में क्या
कलेजे से ये दम मेरा निकल रहा क्यों है ?

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

New Report

Close