सब कुछ झूठा

सूरज जलकर
कब रोया
संध्या रातों मे
कब सोई
गुलमोहर का
साख से झरना
कब बंद हुआ
दशरथ माझी का
हथौड़ा कब बंद हुआ,
क्यों रोता है मूरख बंदे
सत्य प्रकृत ,
प्रकृत अनोखा,
बस लड़ना सीख
सब कुछ झूठा
………………
कवि ऋषि कुमार प्रभाकर

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. सूरज जलकर
    कब रोया
    संध्या रातों मे
    कब सोई
    _________ कवि ऋषि जी की प्रकृति के बारे में बताती हुई बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति , उत्तम लेखन

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