सरकार
आज कल बेरोजगारों की कहाँ मेरे यार सुनती है,
उल्टी सीधी जैसी भी हो जनता सरकार चुनती है,
कानों पे जूं भी नहीं रेंगती चाहे चीखलो जितना,
पर बात गर अपनों की हो तो बारम्बार सुनती है,
तार दिलों के दिलों से अब मिलते नहीं देखे जाते,
बहरी हो महबूबा मगर फिर भी हर बार सुनती है।।
राही अंजाना
Wah bahut khub 👏👏
ढयवाद
Teacher day poem pe comment kre
Nice
धन्यवाद
Teachers day poem pe comment kre
Sahi baat
धन्यवाद
Teachers day poem pe bhi comment kre
Waah
Waah