देखो फिर से सावन आया।
सरोवर में कमल मुस्कराया।।
भॅवरों ने गीत गुरगुनाया ।
कोयल ने की कुहू – कुहू ।।
सारा घर आंगन खुशियों से भर आया ।
दूर बैठे सेना के जवानों ने
अबकी बरस सावन पर
दुशमनों को मार भगाने का बिगुल बजाया
देश की कई बहिन – बेटियों ने भी कसमें खाई
तभी तिरंगे में लिपटा
एक जवान का शव
अपने घर आंगन में आया
माँ ने अश्रुधारा के बीच
केसरिया तिलक अपने
लाल के भाल लगाया
मानो लाल का मुखमंडल
गर्व से मुस्कराया
जैसे कह रहा हो
माँ अबकी बरस सावन पर
तेरे लाल ने ढेर सारे
दुशमनों को मार गिराया
और बहुत सारे लोगों का जीवन बचाया
माँ देखो – देखो सावन आया
माँ देखो – देखो तेरा लाल आया
प्रस्तुति – रीता अरोरा
राष्ट्रीय कवि संगम दिल्ली
राष्ट्रीय जागरण धर्म हमारा