सिंहवाहिनी मां दुर्गा**

सिंहसवारी
मां अष्टभुजाधारी
पालनहारी–१
ममतामयी
सौभाग्य प्रदायिनी
भवमोचनी–२
वरदायिनी
विमल मति देती
पीडा़ हरती–३
जगजननी
बारंबार प्रणाम
है प्यारा धाम–४
करूं विनती
मां झोलियां भरती
तुझसे सृष्टि–५

स्वरचित एवं मौलिक रचना
—✍️एकता गुप्ता *काव्या*
उन्नाव उत्तर प्रदेश

Related Articles

पिता की छांव

विषय– पिता की छांव मां-पापा हैं मेरे जीवन की पतवार कैसे चुका पाएंगे हम अपने पापा के उपकार चलना सिखाया पापा ने मुझे गोद उठा…

प्रेरणा

जीवन के हर मोड़ पर नई चुनौतियां आती है कहीं दे जाती है हार हमें कहीं जीत दे जाती है । कहीं मिलती है समीक्षाएं…

Responses

+

New Report

Close