सिर पे जूता, पेट पे लात।
दिल खट्टा और मीठी बात॥
नियम, कानून अमीरों का,
अपने तो बस खाली हाथ॥
पूछ परख लो भूखों से
क्या है तुम्हारी जात?
पेट भरो बातों से,
गोदाम तले रखो अनाज।
मजबूरी है मजदूरी
मेहनत का नहीं देना दात।
वादों से क्या भूख मिटे
या चूल्हों में जलती आग।।
वोट मांग लो हमसे
पर रहने दो यह सौगात।
नारों से क्या तन ढक लें?
समझ गये तुम्हारी बात।।
उठो, बैठो, सब करो
स्वांग रचा लो सारे आज।
फर्क नहीं पड़ता अब
बहुत कर लिये हैं विश्वास ।।
ओमप्रकाश चंदेल”अवसर”
पाटन दुर्ग छत्तीसगढ़