वो कोई सुखद घटना ही नहीं,
मानो सुखों का वरदान था मेरे लिए।
उसका आना,
हृदय का आह्लादित हो जाना ,
मेरे आंगन की मुस्कुराहट सी,
कुदरत की बनावट सी,
मानो खुशियों का भण्डार था मेरे लिए।
वो नन्ही सी परी ,जादू की छड़ी,
फूलो की खिलखिलाहट सी,
मेरे होठों की चहचहाहट सी,
उसकी प्यारी सी किलकारियां
मानो अमृत है मेरे लिए।
और जब से जन्म लिया है उसने,
मानो जीवन की मेरे,उमंग सी,
लहराती कोई पतंग सी,
वो कोई सुखद घटना ही नहीं ,
मानो सुखों का वरदान है मेरे लिए।
————मोहन सिंह मानुष