सुखद घटना से भी बढ़कर!
वो कोई सुखद घटना ही नहीं,
मानो सुखों का वरदान था मेरे लिए।
उसका आना,
हृदय का आह्लादित हो जाना ,
मेरे आंगन की मुस्कुराहट सी,
कुदरत की बनावट सी,
मानो खुशियों का भण्डार था मेरे लिए।
वो नन्ही सी परी ,जादू की छड़ी,
फूलो की खिलखिलाहट सी,
मेरे होठों की चहचहाहट सी,
उसकी प्यारी सी किलकारियां
मानो अमृत है मेरे लिए।
और जब से जन्म लिया है उसने,
मानो जीवन की मेरे,उमंग सी,
लहराती कोई पतंग सी,
वो कोई सुखद घटना ही नहीं ,
मानो सुखों का वरदान है मेरे लिए।
————मोहन सिंह मानुष
वाह ! बिटिया के जन्म पर खुशी व्यक्त करते पिता की भावनाओं का अति सुंदर वर्णन…… बहुत सुंदर रचना ।
बहुत बहुत धन्यवाद! गीता जी 🙏
हां! इन पंक्तियों में मेरे खुद के व्यक्तिगत भाव छीपे हुए हैं।
अरे वाह! बधाई स्वीकार करें
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत आभार सर 🙏😊
वास्तव में बेटियां, आँगन की खिलखिलाहट हैं, चहचहाहट हैं, वे खुशियों की खान हैं, वात्सल्य और प्रेम से भरी सुन्दर पंक्तियाँ आपने प्रस्तुत की हैं,
बहुत बहुत आभार सर 🙏
nice poem
🙏
बेटी के जन्म पर जो हर्ष पिता को होता है वह माता को नहीं हो पाता क्योंकि बेटियां पिता को ज्यादा प्यारी होती है और आपकी या सोच या प्रकट कर रही है कि आप ह्रदय के बहुत ही अच्छे इंसान हैं इसीलिए आपकी कविताओं में आनंद प्राप्त होता है