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सुनी सुनी सी बात लगे इस बस्ती में

सुनी सुनी सी बात लगे इस बस्ती में,

कुछ तो है जो ख़ास लगे इस बस्ती में,

कभी सोंच आज़ाद लगे इस बस्ती में,

कभी हालत नासाज़ लगे इस बस्ती में,

मालिक ही का राज चले इस बस्ती में,

बाकी सब लाचार बचे इस बस्ती में,

पैसों की ही बात रखे इस बस्ती में,

अब कोई दिल न साफ़ रखे इस बस्ती में,

आँखों में ही ख्वाब सजे इस बस्ती में,

दिल के कितने राज़ दबे इस बस्ती में,

कहने को कुछ यार बचे इस बस्ती में,

अब मजदूर कुछ दो चार बचे इस बस्ती में।।

राही (अंजाना)

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