चलो एक नये कोने की तलाश करें
उदासियो को हटा, सोंच में बदलाव करें ।
खुद को नये सिरे से गढ़े
अबतक खुद के लिए जीते रहे
अपने लिए त्योहार मनाते चले
अब एक नयी परिभाषा बने
चलें औरों के स्वप्न लिए,
उदासियो को हटा, सोंच में बदलाव करें ।।
नकारात्मता जो पसरी हुई
वीरानगी कैसी है बनीं हुयी
मायूसी की करें रवानगी
मानवता के लिए हो दीवानगी
नयी सोंच नयी तरह से लिए
उदासियो को हटा, सोंच में बदलाव करें ।।
हर घर में खुशी खुशियाँ बसे
हर दिल उमगो से सजे
मौजों के संग चलें,
गम को ना डगर मिलें
नयी इच्छाओं को संग लिए
उदासियो को हटा, सोंच में बदलाव करें ।।