सोंच में बदलाव करें

चलो एक नये कोने की तलाश करें
उदासियो को हटा, सोंच में बदलाव करें ।
खुद को नये सिरे से गढ़े
अबतक खुद के लिए जीते रहे
अपने लिए त्योहार मनाते चले
अब एक नयी परिभाषा बने
चलें औरों के स्वप्न लिए,
उदासियो को हटा, सोंच में बदलाव करें ।।
नकारात्मता जो पसरी हुई
वीरानगी कैसी है बनीं हुयी
मायूसी की करें रवानगी
मानवता के लिए हो दीवानगी
नयी सोंच नयी तरह से लिए
उदासियो को हटा, सोंच में बदलाव करें ।।
हर घर में खुशी खुशियाँ बसे
हर दिल उमगो से सजे
मौजों के संग चलें,
गम को ना डगर मिलें
नयी इच्छाओं को संग लिए
उदासियो को हटा, सोंच में बदलाव करें ।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

स्वतंत्रता की वर्षगांठ

स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- खुशी खूबसूरती और खैर- ख़ैरियत के साथ चलो मनाते हैं देश की स्वतंत्रता की वर्षगांठ । आजादी सौगात नहीं,अमर शहीदों…

Responses

+

New Report

Close