****सोचना भी मत में कमजोर नहीं ****
मुझे अपना पसंद का चिकन ब्रियनि खाने की तरह सोच कर खाने की सोचना मत भी मत
मेरे करीब आकर मुझे छूना भी मत , में कमजोर नहीं
ओरत हूँ तो किया अपनी नजरों से नोच नोच कर खाओगे मुझे ? सोचना भी मत आँखों को नोच डालूंगी
माँ के माना करने बाद भी मेने अपने नाखून बढा लिए हें
माना मेरा जिस्म ,नरम ,नाजुक हैं ,मखमली हैं गोरा हैं , वो मुझे भगवान ने इस लिए बनाया
में एक मासूम को अपनी गोद में माँ बनकर फूलों सा अहसास दे सकूँ ,अपने मखमली आँचल की छावं दे सकूँ
तो किया गिद्द जैसी नजरों से मुझे खरोंच खरोंच कर खा जाओगे
खुली पलकों से दबोच कर खा जाने की लालसा न रखना वरना मुहं नोच डालूंगी में
मुझे दिखाई देती हैं कभी कभी लार में लिपटी हुई गन्दी हबस की खामोश लालशा
गंदे गंदे लफ्जों से तो नोच नोच कर न खाने दूंगी तुमको ,सोचना भी मत में कमजोर नहीं
दिल का कालापन देख रही हूँ मुझे होठो से छूने की कोशिश न करना
**कमसिन हैं नाजुक हैं पर कमजोर नहीं ये ओरत में ये तुमको बतलाती हूँ
कमजोर नहीं हूँ में सोचना भी मत आज ये जतलाती हूँ में ****
गौरी गुप्ता २७/५/२०१६
Umda!!
nice one 🙂
Hats off to you
very nice ma’am