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सोच समझ के बोल

सोच समझ के बोल रे बंदिया
सोच समझ के बोल
जो तु बोले, तेरा पीछा ना छोड़े
मांगे हर अल्फाज़ अपना हिसाब
मान-अपमान दिलवाते, दिखलाये संस्कार
यही बनाए तेरे वैरी यही बनाए यार
सोच समझ के बोल रे बंदिया
सोच समझ के बोल
छलकेगा प्यार तेरा जिन अल्फाज़ों से
वो तेरा दामन खुशियों से भर देंगे
करेगा क्रोध जब तु इन्ही अल्फाज़ों से
फिर पीछा ना छूटे दर्द भरी तनहाईयों से
सब सच है कहते
सोच समझ के बोल रे बंदिया
सोच समझ के बोल ।

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