हरित है वसन Pragya 4 years ago अम्बर झुका हुआ है और वसुंधरा है बसंती कोपल की तरह प्रस्फुटित हो रहा है मन हर शाख पर खिल रहा है सुमन । हर पत्ता बूटा भीगा है लतपत है उपवन वृन्त से पृथक हो झूमता है मन-गगन प्राणवायु भर रही है लहरों की छुअन गीत क्षुभ्ध हैं और हरित है वसन