हरित है वसन
अम्बर झुका हुआ है
और वसुंधरा है बसंती
कोपल की तरह प्रस्फुटित हो रहा है मन
हर शाख पर खिल रहा है
सुमन ।
हर पत्ता बूटा भीगा है लतपत है
उपवन
वृन्त से पृथक हो
झूमता है मन-गगन
प्राणवायु भर रही है
लहरों की छुअन
गीत क्षुभ्ध हैं और
हरित है वसन
Nice
धन्यवाद
Nyc
थैंक्स
Good
थैंक्स
नाइस वर्ड
धन्यवाद
वाह
थैंक्स
Nice poem
धन्यवाद