Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
एक वक़्त वो भी था
पिछले साल की बात 2020 का एक वक़्त वो भी था, एक वक़्त वो भी था, जब हम अजनबी हुआ करते थे, एक वक़्त वो…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मैं हारूँगा नहीं
थक चूका हूँ , पर हारा नहीं हूँ मैं निरंतर चलता रहूँगा आगे बढ़ता रहूँगा उदास हूँ ,मायूस हूँ पर मुझे जितना भी आज़मा लो…
अपहरण
” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…
bahut khoob ji
उम्दा