हाथों की लकीरें बनाकर भूल बैठा है,
शायद खुदा मुझसे रूठ के बैठा है,
कहानी में मेरा किरदार ‘गरीब’ लिखकर,
वो मिट्टी से मेरा जीवन जोड़ बैठा है॥
राही (अंजाना)
हाथों की लकीरें बनाकर भूल बैठा है,
शायद खुदा मुझसे रूठ के बैठा है,
कहानी में मेरा किरदार ‘गरीब’ लिखकर,
वो मिट्टी से मेरा जीवन जोड़ बैठा है॥
राही (अंजाना)