हाथों की लकीरें राही अंजाना 6 years ago हाथों की लकीरें बनाकर भूल बैठा है, शायद खुदा मुझसे रूठ के बैठा है, कहानी में मेरा किरदार ‘गरीब’ लिखकर, वो मिट्टी से मेरा जीवन जोड़ बैठा है॥ राही (अंजाना)