हे प्रभु..

हे प्रभु,
कभी जन्म लो इस धरा पर ,
बन कर एक इंसान।
फ़िर महसूस करो उस दर्द को,
जब बिछुड़ जाए निज संतान।
अब इसके आगे क्या कहूँ,
खुलती नहीं जुबान।
खिसक गई पैरों तले ज़मीं,
और फट गया आसमान॥
______✍गीता

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