क़िताबें अनुवाद 3 years ago जब भी मन घिर जाता है अपने अंतर्द्वंदों की दीवारों से, जब मस्तिष्क के आकाश में छा जाते हैं बादल अवसादों के…!! तब छांट कर संशय के अँधियारों को, ये जीवन को नई भोर देती हैं, ‘किताबें’…..मन के बन्द झरोखें खोल देती हैं..!! ©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’