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क़िताबें

जब भी मन घिर जाता है अपने
अंतर्द्वंदों की दीवारों से,
जब मस्तिष्क के आकाश में छा
जाते हैं बादल अवसादों के…!!
तब
छांट कर संशय के अँधियारों को,
ये जीवन को नई भोर देती हैं,

‘किताबें’…..मन के बन्द झरोखें
खोल देती हैं..!!

©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’

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