क़िताबें
जब भी मन घिर जाता है अपने
अंतर्द्वंदों की दीवारों से,
जब मस्तिष्क के आकाश में छा
जाते हैं बादल अवसादों के…!!
तब
छांट कर संशय के अँधियारों को,
ये जीवन को नई भोर देती हैं,
‘किताबें’…..मन के बन्द झरोखें
खोल देती हैं..!!
©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
किताबें’…..मन के बन्द झरोखें
खोल देती हैं..!!
_____बिल्कुल सत्य कथन,बहुत सुन्दर रचना है सखी,📙🌹
सत्य कथन ,,,सुन्दर रचना
अतिसुंदर भाव
छांट कर संशय के अँधियारों को,
ये जीवन को नई भोर देती हैं,
‘किताबें’…..मन के बन्द झरोखें
खोल देती हैं..!!
—- वाह क्या बात है, बेहतरीन पंक्तियां, बेहतरीन भाव।