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ღღ_कभी यूँ भी तो हो

ღღ_कभी यूँ भी तो हो, कि दिल की अमीरी बनी रहे;
फिर चाहे तो ज़िन्दगानी, ग़ुरबत में बसर कर दे!
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कोई एक शाम फुरसत की, कभी मेरे लिए निकाल;
फिर उस मुलाकात में ही, तू शाम से सहर कर दे!
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तेरे होठों की मिठास तो, मुझे चख लेने दे एक बार;
फिर बाकी की उम्र सारी, गर चाहे तो ज़हर कर दे!
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दिन-रात माँगता हूँ, रब से बस तुझको दुआ में मैं;
ऐ-काश कि वो तुझको ही, मेरा हमसफ़र कर दे!
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सूना लगता है जहाँ सारा, तुझ बिन ऐ-साहिबा;
कभी यूँ भी तो हो, कि तू मेरे ख्वाबों में रंग भर दे!!….‪#‎अक्स‬
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