कुछ सिसकिंयाँ सिमट कर
बिखर गईं
फिर से तुम्हारी याद आ गई
जब रोया करते थे
तुम्हारे कंधे पर सिर रखकर
वो पल अब कहाँ खो गये ??
बेशुमार दौलत है अपने पास आज
पर वो फुर्सत के पल कहाँ गये ??
आज बार-बार याद आ रहा है
मेरा चीखना चिल्लाना
तुम्हारा घुटने टेक कर मनाना
पर सब रह गया बस एक
याद बन कर और
रह गया ‘वक्त की खूंटी पर टंगकर ||