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15 अगस्त

हम स्वतंत्र होगे

एक दिन

ये आस लिए

कुछ प्रण किया था

आह!

क्या थे वो क्षण

जब मैं नहीं हम थे सब

ध्येय एक लिए हृदय में

बढ़ चले थे

ओज लिए सोज़ लिए

स्वय को अर्पित कर

कर्मपथ पर बढ़ते थे

नित्य उत्साह,उल्लास संग

भारत माता की जय

उदघोष गुंजते थे

मेहनत रंग लाई

15 अगस्त 1947

स्वप्न सत्य हुआ

उल्लास लिए हम

स्वतंत्र हुए

नयी सूबह

नयी शफ़क

मेहताब नया

उदित हुआ

तदोपरान्त

यह खास दिन

आजादी के लिए

हर वर्ष अवतरित हुआ

 

 

 

 

 

 

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