अर्सों के बाद मुलाकात जरुरी है समझता हूँ ,

मेरे बिन तेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ !

इन्तजार में जो सुख चुके हैं तेरे आँख केआँसू ,

उनके न निकलने की मज़बूरी मैं समझता हूँ !!

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

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