Categories: हाइकु
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
Related Articles
रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं ।
रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं । मात-पिता को छोड़ अब वह सुत प्यारा, अब तो सास श्वसुर के पास रहते हैं…
तेरे सिर पर सज के सेहरा…
कुमार विश्वास की कविता:- मांग की सिंदूर रेखा” एक प्रेमी के हृदय की वेदना को तो बखूबी व्यक्त करता है। जब उसकी प्रेमिका का विवाह…
तेरे सिर पर सज के सेहरा
तेरे सिर पर सजके सहरा प्रश्न तुमसे जब करेगा यूँ मुझे मस्तक पर रखकर जा रहे किस ओर तुम हो तुम कहोगे जा रहा हूँ…
रिश्तों का सत्य
रिश्तों का सत्य जो लगता यथार्थ से परे सदा मानते हुए छलावा हम जुड़े रहना चाहते है सदा ये रिश्तें जो खून से बनते ,खून…
पैगाम ए मोहब्बत ” आर्यन सिंह
आर्यन सिंह की रचना से कुछ चुनिंदा शायरी एंड पक्तियाँ निकाली है जिनसे साफ पता चलता है कि आर्यन का दिल इश्क के समुंदर मे…
Good
वाह
Good